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दीवार | Kavita Deewaar

दीवार ( Deewaar ) ( 2 ) होते थे कभी मकान मिट्टी के कच्चे मगर उनमे पलते थे प्यार पक्के आज बढ़ने लगे हैं मकान पक्के मगर रिश्ते दिल के हो गये हैं कच्चे कभी होते थे रिश्ते खून के अपने अब अपने ही करने लगे खून रिश्तों का चलने लगे हैं खेल चौसर के…