हम पक्षी पर दया करो | Kavita Hum Panchhi par Daya Karo
हम पक्षी पर दया करो ( Hum panchhi par daya karo) सूख गयी है ताल तलैया ठप बैठे हैं नदी की नैया चिंगारी सी है दोपहरिया एक बर्तन पानी धरा करो! हम पक्षी पर दया करो। हम पक्षी अब तड़प रहे हैं नदियां नाले चटक रहे हैं …