Kavita Main Chaurahe Par Baitha hoon

मैं चौराहे पर बैठा हूं | Kavita Main Chaurahe Par Baitha Hoon

मैं चौराहे पर बैठा हूं ( Main chaurahe par baitha hoon )   मैं चौराहे पर बैठा हूं सभी दिशाएं देख रहा हूं पर कवि होने की खातिर भावों में अतिरेक रहा हूं एक दिशा पूरब से आती जीवन दर्शन हमें सिखाती सत्य धर्म सुचिता मानवता सबके शाश्वत मूल्य बताती हिमगिरि के उत्तुंग शिखर पर…