पिता का अस्तित्व | Kavita Pita ka Astitva
पिता का अस्तित्व ( Pita ka Astitva ) पिता पी ता है गम जिंदगी के होती है तब तैयार कोई जिंदगी गलकर पी जाता है स्वप्न पिता बह जाती है स्वेद मे हि जिंदगी औलाद हि बन जाते उम्मीद सारे औलाद पर हि सजते है स्वप्न सारे औलाद मे हि देता है दिखाई जहाँ…