Kavita rishton ki paheli

रिश्तों की पहेली | Kavita rishton ki paheli

रिश्तों की पहेली ( Rishton ki paheli )   कभी समझ ही ना पाये इन रिश्तो की पहैली को हम, जब जब जाते हे सुलझाने इसे खुद ही उलझ जाते है। कभी इतना अपनापन दे जाते है की आसमाँ पे होता है आलम खुशी का, कभी इक ही पल मे परायों सा अहसास दिलाकर जमीन…