कुदरत | Kudrat
कुदरत ( kudrat ) युगों-युगों से निसर्ग की दुनिया दीवानी, चलो आज लिखते हैं कुछ नई कहानी। बाँहें फैलाए खड़ी है ये कुदरत, छेड़ते हैं बातें कुछ उसकी रूहानी। अल्हड़ हवाएँ,वो उड़ते परिन्दे, जगह -जगह छोड़ी है अमिट निशानी। झीलों का देखो वो झलकता बदन, बातें बहुत हैं उसकी आसमानी। नदियों का बहना, नदियों…