मन मे भेद | Man per Kavita
मन मे भेद ( Man me bhed ) वैचारिक मतभेद होना स्वाभाविक है हर किसी का व्यक्तिगत संसार है किंतु ,आपसी मन मुटाव कर देता है बाधित कई सफलताओं को…. मन मुटाव भी स्वाभाविक है हक है सभी को अपनी तरह से जीना किंतु ,बात जब परिवार या समाज की हो तब ,आपका मूल्य…