मानवता हनन | Manavata hanan par kavita
मानवता हनन ( Manavata hanan ) हे प्रभु इस धरती पर नर को दानवता क्यों भाती है। ईर्ष्या द्वेष नफरते हावी सारी मानवता खा जाती है। लालच लोभ स्वार्थ में नर इंसानियत क्यों भूल गया। मतलब कि इस दुनिया में क्यों मझधार में झूल गया। लूट खसोट भ्रष्टाचार की नर राहें क्यों…