मेघा | Kavita
मेघा ( Megha ) बरस रे टूट कर मेघा, हृदय की गाद बह जाए। सूक्ष्म से जो दरारे है, गाद बह साफ हो जाए। बरस इतना तपन तन मन का मेरे शान्त हो जाए, नये रंग रुप यौवन सब निखर कर सामने आए। दिलों पे जम गयी है गर्द जो, उसको बहा देना।…
मेघा ( Megha ) बरस रे टूट कर मेघा, हृदय की गाद बह जाए। सूक्ष्म से जो दरारे है, गाद बह साफ हो जाए। बरस इतना तपन तन मन का मेरे शान्त हो जाए, नये रंग रुप यौवन सब निखर कर सामने आए। दिलों पे जम गयी है गर्द जो, उसको बहा देना।…