Moksh par kavita

मोक्ष पाओगे | Moksh par kavita

मोक्ष पाओगे! ( Moksh paoge )   राम को हराकर बता क्या पाओगे, सत्य को पछाड़कर भी क्या पाओगे? अगर सत्य के पाले में खड़े रहे तो, जाते – जाते धरा से मोक्ष पाओगे।   कौन होगी अंतिम साँस, किसे पता, मिसाइलें सजाकर तुम क्या पाओगे? बढ़े तो बढ़ाओ भाई पुण्य की गँठरी, झूठ बोलकर…