नदी | Nadi par Kavita
नदी ( Nadi ) आँधी आऍं चाहें आऍं तूफ़ान, मैं सदैव ही चलती ही रहती। और गन्दगी सारे ब्रह्माण्ड की, समेट कर के बहा ले जाती।। मैं किसी के रोके नहीं रुकती, और कभी भी मैं नहीं थकती। मैं नदी ख़ुद मन वेग से चलती, अविरल सदैव बहती जाती।। अपनें इस प्रवाह से धरती के,…