कविताएँ ओज | Oj ByAdmin February 24, 2024 ओज ( Oj ) बड़े हुए तो क्या हुए जब कर न सके सम्मान किसी का समझे खुद को अधिकारी पद का समझ ना पाए स्वाभिमान किसी का चाहे ,खुद ही को चर्चित होना ऊँचे आसन का मान लिए बैठे मन के भीतर समझे कमतर सबको खुद को ही प्रथम शीर्ष किए बैठे ऐसी…