परिंदा | Parinda
परिंदा ( Parinda ) हवा न दो उन विचारों को जो लगा दे आग पानी मे जमीन पर खड़े रहना ही आकाश को छू लेना है… सीढियां ही पहुचाती हैं हमे उछलकर गगन नही मिलता भुला दो कुछ पन्नों को तुम हर पन्नों मे जीवन नही मिलता.. अंगुलियों को देख लिया करो जान लोगे…