पता है | Pata hai
पता है ( Pata hai ) जब विश्वास टूटता है, उस वेदना का कोई परिसीमन नहीं होता, क्यों कि हर टूटने वाली चीज़ भी दोबारा जोड़ी जा सकती है, लेकिन जब मन टूटता है, तब चाहे सारे हालात पहले की तरह हो जायें, हम खुद को नकार कर भरोसा दोबारा भी बनाने की कोशिश…