अनकही | Poem anakahee
अनकही ( Anakahee ) चलिये ना कुछ बात करें मैं अपने दिल की बात कहूँ कुछ छुपे हुए से राज कहूँ तुम अपने मन की परते खोलो सहज जरा सा तुम भी हो लो मैं अपनी कहानी कह दूंगी जो बंधी है मन के भीतर गिरहें सभी मैं खोलूंगी तुम भी अपने घाव दिखाना…

