Poem chand phir nikla

चांद फिर निकला | Poem chand phir nikla

चांद फिर निकला ( Chand phir nikla )   चांद फिर निकला है लेकर रवानी नई। मधुर इन गीतों ने कह दी कहानी नई।   बागों में बहारें आई कली कली मुस्कुराई। मन मेरा महका सा मस्त चली पुरवाई।   चांद सा मुखड़ा देखूं थाम लूं तेरी बाहों को। चैन आ जाए मुझको सजा दो…