जीवन यही है | Poem jeevan yahi hai
जीवन यही है ( Jeevan yahi hai ) ना धरा में ना नभ में ना गहरे समंदर में। खोज खोज के खुद को खोया झाँका नहीं खुद के अंदर में। राहों से तु भटक ना राही किंचित सही नहीं है। अंतर्मन हि असीम सत्य है, यक़ीनन जीवन यही है। अल्फाज़ों में जो समझाऊं तो…