Poem laalasa

लालसा | Poem laalasa

लालसा ( Laalasa )   लालसा न चाह का है  ,जीवन में कुछ पाने को लालसा न बड़ा बनू, न बहुत कुछ कर जाने को छीन कर खुशियां किसी की, रोटियां दो वक्त की मैं चलूं तारों को लाने,छोड़ इन्हें मर जाने को धिक्कार है जीवन को ऐसे,धिक्कारता हूं लोग को जो अपनी ही खुशियों…