नया साल | Poem Naya Saal
नया साल ( Naya Saal ) सर्द सी इस शाम में सोचा कुछ तेरे नाम लिख दूँ….. शायद लफ्ज़ों की गर्मी से पिघल जाये जमी है जो बर्फ तेरे मेरे दरमियां गिले शिकवे जो हो ‘ गर चले जायें साथ ही जाते हुये साल के…. क्यों न आगाज़ करें इक…
नया साल ( Naya Saal ) सर्द सी इस शाम में सोचा कुछ तेरे नाम लिख दूँ….. शायद लफ्ज़ों की गर्मी से पिघल जाये जमी है जो बर्फ तेरे मेरे दरमियां गिले शिकवे जो हो ‘ गर चले जायें साथ ही जाते हुये साल के…. क्यों न आगाज़ करें इक…