ओज भरी ललकार | Poem oj bhari lalkar
ओज भरी ललकार (Oj bhari lalkar ) ढूंढता रहा हूं सारी दुनिया क्या मेरा वजूद है। आग का दरिया दहकता धधकती बारूद है। ओज भरी हुंकार कहूं या जलती हुई मशाल। देशभक्त मतवाला कह दो लेखक बेमिसाल। लेखनी दीपक ले अंधकार मिटाया करता हूं। राष्ट्रधारा में रणवीरों के गीत गाया करता हूं।…