Poem on kartik purnima

कार्तिक पूर्णिमा का स्नान | Poem on kartik purnima

कार्तिक पूर्णिमा का स्नान ( Kartik purnima snan kavita )   पूर्णिमा से शुरु होती यह सर्दियों की रात, अमृत बरसता है इस दिन सब पर खास। चन्द्र और पृथ्वी इस रोज आतें है समीप, राधे व कृष्ण ने इस दिन रचाया था रास।।   इसी उजियाली शरद पूनम वाली रात में, अनेंक रुप बनाऍं…