Poem sukh aur dukh

सुख और दुःख | Poem sukh aur dukh

सुख और दुःख ( Sukh aur dukh)     भेंट हुआ एक दिन सुख दुःख का दुःख ने खबर लिया तब सुख का,   दुःख बोली ओ! प्यारी बहना कितना मुस्किल तुमसे मिलना   रहती कहां?नहीं हो दिखती हर कोई चाहे तुमसे मिलना,   सुख ने दुःख को,गले लगा कर भर मन में मुस्कान,मनोहर,  …