प्यास बुझे तो बुझे कैसे | Pyaas bujhe to bujhe kaise | Kavita
प्यास बुझे तो बुझे कैसे ( Pyaas bujhe to bujhe kaise ) प्यास बुझे तो बुझे कैसे , जो आग लगी है पानी से। मर रहा इंसानियत यहां, धर्म मजहब की कहानी से। रो-रो के जिंदा है परिंदा, अपनी आंखों के पानी से। घर का बुजुर्ग शर्मिंदा है, अपने बच्चों…