प्यारी माँ | Pyari Maa Kavita
प्यारी माँ ( Pyari Maa ) ये जो संचरित ब्यवहरित सृष्टि सारी है। हे !मां सब तेरे चरणों की पुजारी है।। कहां भटकता है ब्रत धाम नाम तीर्थों में, मां की ममता ही तो हर तीर्थों पे भारी है।। दो रोटी और खा ले लाल मेरे खातिर, भूखी रहकर भी कईबार मां…