Rajasthani Bhasha Poem

सांवरियो आंगणिये आयो | Rajasthani Bhasha Poem

सांवरियो आंगणिये आयो ( Sanwariyo aanganiye aao )    सांवरियो आंगणिये आयो, जाग्या म्हारा भाग। सुखसागर बरसण लाग्यो,घट उमड़यो अनुराग। मनमंदिर म जोत जागी,घट म उजाळो दमक्यो। नैणां गिरधर री मूरत, किस्मत रो तारों चमक्यो। मिल्यो खजानों शबदां रो, सुरसत री महर होगी। सुरभित बणी केसर क्यारी, काया कंचन निरोगी। फूट पड़या गीता रां सुर,…