शायद | Shayad
शायद ( Shayad ) शायद दिल को खबर मिली है मेरे लिए जिम्मेदरियों की कली खिली है दिल को कुछ हो रहा अहसास है अब इस आंगन से विदाई पास है मां की डांट भी अब मिलेगी कैसे मेरे इंतजार मे राह भी तकेगी कैसे भाई के शरारतों से बेखबर होंगे जाने वहाँ दिन…