बेटा | Beta kavita
बेटा
( Beta )
बुढ़ापे की लाठी बेटा नयनो का तारा बेटा
मां बाप का अरमान राज दुलारा है बेटा
नाम रोशन जहां में करता प्यारा दुलारा
शुभ कर्मों से घर की आन बान शान बेटा
यश कीर्ति लहराए पुत्र जन्म जब पाये
दुनिया में रोशन हो घर का चिराग बेटा
श्रवनकुमार सा हो मर्यादा सत्कार करे
संस्कार शिक्षण निपुण गुणों की खान बेटा
पुत्र आज्ञाकारी मिले सुपुत्र संस्कारी मिले
सुख-दुख हाल पूछे हो समझदार बेटा
हर हाल काम आए जग में नाम कमाये
आदर सत्कार करे बने जिम्मेदार बेटा
पिता का प्रेम मधुर मां का आंचल पावन
फले फूले यश पाए प्रगति पथ को बेटा
जब किलकारी गूंजे हर्ष की बरसात हो
आनंद घर में छाए आशाओं की ज्योत बेटा
कवि : रमाकांत सोनी
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )
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