गाली गलौज

गाली गलौज

मेरे 4 वर्षीय बेटे विभु का जन्मदिन था। विभु अपने जन्मदिन को लेकर कई दिन से बहुत उत्साहित था। मैं उसका दिल नहीं तोड़ना चाहती थी। मैने विभु के जन्मदिन पर बच्चों की पार्टी करने की सोची। इसलिए मैंने प्लान बनाया कि अगर पड़ोस के विभु के हमउम्र बच्चों को बर्थडे सेलिब्रेशन में शामिल किया…

हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय

विश्वविद्यालय: शिक्षा का मंदिर या जाति की प्रयोगशाला?

“हमारी जाति एचएयू: हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में छात्र आंदोलन और जातिगत अन्याय के खिलाफ उठती आवाज” हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (एचएयू), हिसार – देश के प्रतिष्ठित कृषि संस्थानों में गिना जाता है। पर आज यह संस्थान छात्रों के लिए जातिगत अपमान और प्रशासनिक चुप्पी का केंद्र बन गया है। “हमारी जाति एचएयू” यह नारा केवल नारा…

जीवन का ज्यामितीय सत्य

जीवन का ज्यामितीय सत्य : किशोर मन, पारिवारिक संरचना और समय-संतुलन का एक दार्शनिक विश्लेषण

आज की अत्यधिक महत्वाकांक्षी और स्वप्नदृष्टा युवा पीढ़ी के जीवन में भविष्य की योजनाओं को लेकर जो अदम्य दबाव, गहन कुंठा और निराशा अपनी जड़ें जमा चुकी है, उसका परिणाम आए दिन समाचारों की सुर्खियों, डिजिटल प्लेटफार्मों की रीलें और अख़बारों के पन्नों पर हृदय विदारक घटनाओं के रूप में सामने आता है। ये घटनाएँ हमें गहरे चिंतन में…

सबसे बड़ी समस्या-‘शुगर (डायबिटीज)’

सबसे बड़ी समस्या-‘शुगर (डायबिटीज)’

“मैडम जी, कल आप स्कूल नहीं आई। आप तो मुझसे स्कूल आने को बोल रही थी, फिर अचानक ऐसा क्या हुआ? घर परिवार में सब खैरियत से तो है?” असद सर ने रूमा मैडम से पूछा। “क्या बताऊं भैया? मैं तो अपने एकलौते बेटे जुनैद(28 वर्ष) की ओर से बहुत दुखी हूँ। कमबख्त कहना ही…

“भविष्य बताने वाले, वर्तमान से बेख़बर क्यों”

“भविष्य बताने वाले, वर्तमान से बेख़बर क्यों”

(देश में इतने बड़े-बड़े भविष्य वक्ता… फिर भी किसी बड़े हादसे की ख़बर तक नहीं मिलती?) जब आपदा आई और बाबा ऑफलाइन थे, जो लोग दावा करते हैं कि उनका “ऊपर वाले से सीधा संपर्क” है, वे हर बड़ी आपदा, दुर्घटना या संकट के समय चुप क्यों हो जाते हैं? क्या उनका दिव्य नेटवर्क केवल…

रिश्तों का एटीएम

रिश्तों का एटीएम: जब प्यार केवल ट्रांज़ैक्शन बन जाए

रिश्ते अब महज़ ज़रूरतों के एटीएम बनते जा रहे हैं। डिजिटल दुनिया ने संवाद को ‘रीचार्ज पैकेज’ और मुलाक़ातों को ‘होम-डिलीवरी’ में बदल दिया है। दिलचस्पी कम होते ही लगाव की नींव दरकने लगती है—माँ-बेटे के फ़ोन-कॉल में ‘ऑर्डर डिलिवर्ड’ का नोटिफ़िकेशन रह जाता है, दोस्ती ‘वीडियो क्लिप फ़ॉरवर्ड’ तक सिमट जाती है, और दाम्पत्य…

Vriksh Sanrakshan

विश्व पर्यावरण दिवस: एक वैश्विक चेतना और सतत भविष्य की दिशा में एक विस्तृत विश्लेषण

विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day – WED) एक ऐसा वार्षिक कार्यक्रम है जो हर साल 5 जून को दुनिया भर में मनाया जाता है। यह दिन पर्यावरण संरक्षण के महत्व, पर्यावरणीय चुनौतियों के बारे में जागरूकता बढ़ाने और वैश्विक स्तर पर सकारात्मक पर्यावरणीय कार्रवाई को प्रेरित करने के लिए समर्पित है। 1972 में संयुक्त…

पर्यावरण

पर्यावरण: एक दिन की चिंता नहीं, हर दिन की ज़िम्मेदारी

आजकल सोशल मीडिया पर एक आम दृश्य देखने को मिलता है — लोग पौधे लगाते हैं, फोटो खिंचवाते हैं, और फिर उसे सोशल मीडिया पर पोस्ट कर देते हैं। एक पौधा लगाकर फोटो डालना तो याद रहता है, लेकिन उस पौधे को रोज़ पानी देना, उसकी देखभाल करना अक्सर भुला दिया जाता है। नतीजा यह…

अहिल्या

अहिल्या : एक जीवनी – एक दर्शन

          राष्ट्र सेविका समिति ने  आरंभिक काल में ही देवी अहिल्या बाई होल्कर को कर्तव्य के आदर्शवादी रूप में माना है। गंगाजल की तरह निर्मल, पवित्र, पुण्यश्लोक देवी अहिल्या अपने ऐतिहासिक युग का स्वर्णिम युग रही हैं। उनके प्रति समस्त जनसमुदाय की श्रद्धा, निष्ठाभाव, आदर और अपनेपन की भावनात्मक को अभिव्यक्त, प्रतिबिम्बित करने वाली एक…

reflection

प्रतिबिंब

गाँव के प्राचीन पीपल की घनी छाया तले, जहाँ कभी उनकी वाणी से विद्या के दीप प्रज्वलित होते थे, वहीं आज मास्टर शिवप्रसाद जीवन की संध्या बेला में एक शांत, संतुलित और सजग अस्तित्व के रूप में बैठे दिखाई देते हैं।उनका कुर्ता भले ही समय की मार से पुराना हो गया हो, पर उनके विचार…