Essay In Hindi | होली
Essay In Hindi | होली

होली

( Holi : Essay In Hindi )

भूमिका (Introduction) –

होली का त्योहार वसंत ऋतु महीने में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। होली एक ऐसा त्यौहार है जो सभी के लिए खुशी, सुख का संकेत लाने वाले त्यौहार के तौर पर जाना जाता है।

सभी लोग बहुत ही उत्साह से इस त्यौहार को इंतजार करते हैं। होली के त्योहार भक्त प्रहलाद की भक्ति और होलिका के आग में जलकर राख आने की खुशी के रूप में मनाया जाता है।

इस अवसर पर लोग अपने सारे गिले-शिकवे एक दूसरे से बुलाकर, उन्हें माफ कर देते हैं और एक दूसरे से गले मिलते हैं।

होली का उद्देश्य (Objective of Holi Festival In Hindi ) : –

होली का त्योहार प्राचीन काल से मनाया जा रहा है। ऐसी मान्यता है कि प्राचीन समय में किसान अपनी फसलों के पक जाना को खुशी के तौर पर इस त्योहार को मनाते हैं।

वे अपनी पकी हुई फसलों को सबसे पहले भगवान के भोग के रूप में उसे आग में भून कर भगवान को चढ़ावा चढ़ाते हैं।

इस तरह से भगवान को भोग लगाने के बाद बचे हुए अन्न को अन्य सभी लोगों में प्रसाद की तरह बांट दिया जाता है।

इस दौरान सभी लोग गीत और भजन गाते हैं, एक-दूसरे से बातचीत करते हैं, मौज मस्ती के साथ पूरा समय एक दूसरे के साथ बिताते हैं।

होली के त्यौहार का महत्व (Importance of Holi in Hindi) :-

होली का त्यौहार हिंदू समाज का सबसे महत्वपूर्ण त्योहार माना जाता है। क्योंकि होली के अवसर पर लोग दुश्मनों को भी दोस्त बना कर उनसे अपने रिश्ते को बेहतर करते हैं।

इस त्यौहार पर अमीर गरीब, क्षेत्रियता, जाति, धर्म के आधार पर भेदभाव न करके सब आपस में मिलकर रहते हैं। होली के दिन लोग एक दूसरे के घर जाकर एक दूसरे को रंग लगाकर होली खेलते हैं।

इस त्योहार पर जो लोग अपने घर से दूर रहते हैं इस पर्व पर एक दूसरे से मिलते हैं। होली के दिन सभी लोग अपने सारी नफरत, नाराजगी को भुला कर एक नए सिरे से अपने रिश्ते को बेहतर बनाने की कोशिश करते हैं।

होली के अवसर पर होलिका जलाने का महत्वपूर्ण स्थान है। होली के अवसर पर होलिका दहन जरूर किया जाता है।

पौराणिक कथा ( Mythology ) :-

होली के संबंध में एक पौराणिक कथा कही जाती है। कहा जाता है कि पुरातन काल में राजा हिरण्यकश्यप नाम का एक राजा था।

उसे और उसकी बहन होलिका को बहुत सी शैतानी शक्तियां और वरदान प्राप्त था। वो दोनों उन्हीं के बल पर जनता पर शासन करना चाहता था।

उसे अपनी शक्तियों पर बहुत घमंड था। वह अपने आप को घमंड के चलते भगवान समझ बैठा था। वह अपनी प्रजा पर दिन रात का कहर बरपाता था, जिससे हर कोई उसे भगवान माने।

लेकिन राजा हिरण्यकश्यप का एक बेटा प्रहलाद था, जो भगवान विष्णु का भक्त था और वह किसी भी कीमत पर अपनी भक्ति नहीं होना चाहता था। वह अपने पिता हिरण्यकश्यप को भगवान मानने को तैयार ही नही था।

वह उन्हें इंसान ही मानता था। इस पर हिरण्यकश्यप ने उस पर तरह तरह के अत्याचार किए। लेकिन इसके बाद भी प्रहलाद अपने दृढ़ निश्चय पर अड़े रहे और भगवान विष्णु की भक्ति करते रहे।

अंत में राजा हिरण्यकश्यप अपनी बहन होलिका को प्रहलाद को अपनी गोदी में लेकर चिता में बैठने का आदेश दे देता है क्योंकि होलिका को कभी भी आग से न जाने का वरदान प्राप्त था।

जब होलिका प्रहलाद को लेकर चिता पर बैठ जाती है तब बालक प्रहलाव भगवान विष्णु की भक्ति में खुद को लीन कर लेता है।

इससे उसे कोई भी चोट नही पहुचती है। लेकिन होलिका आग में जलकर खाक हो जाती है। यही वजह है कि भक्त प्रहलाद की भक्ति को याद करते हुए उस दिन को होली के रूप में मनाया जाता है।

उपसंहार (Conclusion) :-

होली का त्योहार रंगो के त्योहार के तौर पर जाना जाता है। इस दिन लोग अपने आपसी मतभेद को भुला कर नए जीवन की शुरुआत नई ऊर्जा के साथ करते हैं।

भारत और हिंदू समाज में इस त्यौहार को खुशी और उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दिन जगह-जगह पर लोग रंग खेलते हुए दिखाई देते हैं।

ऐसा मालूम पड़ता है कि पूरे शहर को रंग बिरंगे रंगों से रंग दिया गया हो। होली के दिन लोग एक दूसरे के घर जाकर अबीर गुलाल लगाते हैं और होली की बधाई देते हैं।

लेखिका : अर्चना  यादव

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