Welcome to The Sahitya

A self-publishing platform where writers and readers unite to celebrate literature across languages. We believe in the beauty of words, and our mission is to connect people through the art of writing and reading.

ReadWriteEngage

Explore a World of Stories – Write and Share Your Voice – Connect with Fellow Readers – Experience the Power of Words

Together, let’s create a world where words inspire, connect, and enrich our lives.

Create an Account

Read

Discover a world of diverse, multilingual stories and poems crafted by passionate writers. Immerse yourself in the rich tapestry of literary works available in various languages.

Write

Unleash your creativity and share your voice with a global audience. The Sahitya offers a platform for writers to express their thoughts and connect with like-minded individuals.

Engage

Engage with a vibrant community of readers and writers, where every visit is an opportunity to explore new perspectives, learn, and grow through the power of words.

Latest Posts

हम तो टेंट वाले हैं | Hum to Tent Wale Hain
आलेख

हम तो टेंट वाले हैं | Hum to Tent Wale Hain

लाल किले में आजादी जश्न के मौके पर हर साल मुशायरा होता है। ऐसे ही कम से कम 40 या थोड़ा उससे आगे या पीछे वक्त की बात है। एक मुशायरा चल रहा था। जनवरी की ठंड थी, लेकिन श्रोताओं की वाहवाही और शायरों के एक से बढ़कर ग़ज़ल और शायरी से ठंड का नामोनिशान…

माँ से बना बचपन मेरा
कविताएँ

माँ से बना बचपन मेरा

माँ से बना बचपन मेरा अजब निराला खेल बचपन का lदुनिया ने लिया पक्ष सक्षम का llबचपन ने लिया पक्ष माँ का lआज भी धुन माँ की लोरी की llसुनाओ , फिर से कहानी माँ की lमाँ से बना बचपन मेरा ll किसी ने पूँछा ” मुकद्दर ” क्या है ?मैं ने कहा मेरे पास…

कभी तुम
ग़ज़ल

कभी तुम प्यार से बस इक नज़र देखो

कभी तुम प्यार से बस इक नज़र देखो कभी तुम प्यार से बस इक नज़र देखोफ़क़त मुझ को भी अपना मान कर देखो विरासत में नहीं मिलते ख़ुशी के पलये काँटों से भरा मेरा सफ़र देखो लक़ब मुझ को मिले जो अब तलक सारेमिरी माँ की दुआ का है असर देखो अगर जो प्यार में…