आस्तीन का सांप | Kavita aasteen ka sanp
आस्तीन का सांप
( Aasteen ka sanp )
कोई भी नहीं बनना यह आस्तीन का सांप,
दोस्त अपनें हृदय को रखना हमेशा साफ़।
नहीं सोचना कभी भी बुरा किसी का आप,
अपना या पराया एक बार तों करना माफ़।।
जिसमें जो है खाता उसी मे छेद ना करना,
अपना हो या पराया सबका ख़्याल रखना।
यह आस्तीन का सांप कोई बन मत जाना,
जो दूध पिलाएं उसी को कभी नहीं डसना।।
दिल से सदैव सबका भला ही आप करना,
दूसरों को ठेस लगें ऐसा काम नहीं करना।
छल और कपट से सदैव बचकर हीं रहना,
विश्वास बनाकर रखना एवं विश्वास करना।।
न इतराना न कतराना ना घमंड तुम करना,
ना सताना निर्बल को ना निर्धन से छिनना।
हो सकें तो सब लोगों की भलाई कर लेना,
आस्तीन-सांप बनकर किसी को न डसना।।