नारी स्वरूप
( Nari Swaroop )
नारी तू एक मगर रूप अनेक।
नारी तुम्हारी हाथों में ,
घर बाहर दोनों सुसज्जित ।
मां काली सदृश नारी शक्तिशाली ,
महालक्ष्मी घर की बजट करती पेश ।
ऐसी प्रबल नारी को प्रणाम ।
गरिमय व्यक्तित्व को नमस्कार।
नारी शक्ति का तू अभिमान है,
जन-जन का तुम मान-सम्मान है।
जग की तू अभिमान है।
घर में संकट आने पर काली का रूप ,
बच्चों पढ़ने में सरस्वती समान,
हर रूप रंग में घर में विद्यमान।
घर-आंगन की आधार स्तंभ।
तुम ही से इस बगिया की महक।
नारी है तो घर स्वर्ग के समान।
नारी जीवन की प्रमुख प्रकाश स्तंभ।
हे कल्याणी तुम अद्भुत,अनुपम, अजय,
तुम्हारी कर्म क्षेत्र विस्तृत सभी और।
सहनशीलता,करुणा,ममता की प्रतिमूर्ति,
तभी तो जन्मदात्री माता के
रूप में बच्चों का निर्माण।
हे जगत जननी ,मां काली,दुर्गा
सरस्वती,लक्ष्मी रूप में नमन।
भानुप्रिया देवी
बाबा बैजनाथ धाम देवघर