नदिया | Kavita Nadiya
नदिया
( Nadiya )
नदिया बही जा रही धीरे धीरे
दरिया की ओर बढ़ी जा रही धीरे धीरे
लगी है भीड़ नहाने की देखो
कोई डूब रहा कोई डूबा रहा देखो
चली ये कैसी हवा धीरे धीरे
जहर हि दवा बनी धीरे धीरे
बचना नहीं है किसी को नदी से
चली आ रही हकीकत सदी से
भटक रही जिंदगी धीरे धीरे
बिसर रही बंदगी धीरे धीरे
नदी का हि सच्चा इंसाफ़ होगा
कर्म की तराजू में न कोई माफ़ होगा
भले बज रही तूती धीरे धीरे
अर्थी भी सज रही धीरे धीरे
नदिया बही जा रही धीरे धीरे
दरिया से मिलती जा रही धीरे धीरे
( मुंबई )
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