मूंछ का एक बाल | Natika Moonch ka Ek Baal
पात्र परिचय :
1) मंजू आयु 23 वर्ष।
2) विदेश बाबू आयु 24 वर्ष।
3) साहूकार”बा” ( बिजनेस पार्टनर ) आयु 35 वर्ष ।
4) सुभाष राणा आयु 28 वर्ष ।
5) मीना आयु 18 वर्ष।
मंच व्यवस्था :
अस्पताल। कुछ औरतें (राजपूतानी लहंगा चोली, चुनरी एकदम पतली व पारदर्शी) आदमी ( सफेद धोती , कुर्ता, पगड़ी पहने हुए) बैठे हैं। (अत्यंत उदास।)
मंजू का रुदन: “हाय ! मेरे पतिदेव मुझे छोड़कर जा रहे हैं।”( मांग का सिंदूर पोंछ रही है)
तभी मंजू के फोन में रिंग : ट्रिंग,ट्रिंग। मंजू की बहन मीना फोन उठाती है। और स्पीकर मोड पर डाल देती है। मंजू” रोती ही जा रही है। (रोने की आवाज)”
विदेश बाबू:” हेलो मंजू। हैलो मंजू व्हाट हैपेंड? क्या हुआ? मंजू आई एम इन इंडिया। मंजू मैं इंडिया आया हूं। क्या तुमसे कुछ देर मिल सकता हूं?” मंजू की छोटी बहन मीना : मंजू दी अभी अस्पताल के बाहर बैठी हैं । हम सभी के साथ। उनके हस्बैंड का एक्सीडेंट हो गया है। उनकी हालत गंभीर है।”
विदेश बाबू” ओह सो सेड! आई एम कमिंग इन द हॉस्पिटल। प्लीज सेंड मि लोकेशन। प्लीज लोकेशन भेज दीजिए। मैं अस्पताल आ रहा हूं।” मीना ” लोकेशन का बटन दबा रही है।”
कुछ देर बाद
विदेश बाबू की कार रूकती है” ठुस्स” विदेश बाबू देखता है” मंजू का रुदन।:” हाय! मैं जीते जी मर गई। मेरे पतिदेव मुझे छोड़कर जा रहे हैं। ” विदेश बाबू मंजू से पूछता है:” क्या हुआ ? क्या हुआ आपके हसबैंड को? कहां है सुभाष राणा?
मंजू: (रुदन ही करती रहती है) हाय!मैं लुट गई। हाय !मैं मर गई मेरा हस्बैंड आई सी यू में ।.. बचने की कोई उम्मीद नहीं है।..(आंसुओं की झड़ी लगी हुई है)
विदेश बाबू “क्यों?” मंजू : (रुदन जारी) हा.. य! मैं कैसे बचाऊ? अब मेरी मांग का सिंदूर नही बच सकता”(मांग का सिंदूर पोंछ रही है)
मंजू की बहन मीना: ” क्योंकि जीजा सा के इलाज के लिए जीजी सा के पास 50 लाख रुपए नहीं हैं । डॉक्टर बिना एडवांस के इलाज शुरू नही कर रहे” विदेश बाबू : (जेब से 50 हजार रुपए निकालकर मीना को देते हुए) लो ये पैसे । जाकर डॉक्टर को दे दो और सुभाष राणा जी का इलाज शुरू करवाओ।”
मीना : ” “धन्यवाद” (भागकर अस्पताल के अंदर जाती है)
मंजू: ( रुदन जारी)”हाय! मैं मर गई । मैं लुट गई । मेरी मांग उजड़ गई। अब मुझे भी मरना होगा।.. हा… क्या करूं…? हा..” ( सिंदूर चुनरी के पल्लू से पोंछ ती जाती है)
(सभी आदमी,औरत हां की स्वीकृति के भाव में बैठे हैं)
विदेश बाबू (नासमझी का भाव)” एक मिनट।.. आपको क्यों मरना होगा? और सिंदूर पोंछने का कारण?” मंजू:“एक चुटकी सिंदूर की कीमत तुम क्या जानो विदेश बाबू? अब मैं अपने हसबैंड को नहीं बचा सकती”
मंजू की बहन मीना( अस्पताल से बाहर आकर) खुशी से बोलती है _”डॉक्टर ने इलाज शुरू कर दिया।”
(सभी आदमी औरतों के चेहरे पर सकून और संतोष के भाव)
विदेश बाबू मंजू से :” तुम्हारी जीजी सा ये क्या बोल रही है?” मीना:“
मेरी जीजी के ससुराल में यानी जीजा सा
सुभाष राणा के राजपूत परिवार में आज तक पति के बिना पत्नी का अस्तित्व नहीं स्वीकारा जाता। इसलिए सभी विधवाओं को मरना पड़ता है।”
विदेश बाबू (मंजू की ओर मुखातिब होकर)” मंजू मैं भी राजपूत हूं। माना कि दसियों साल से मैं इंग्लैंड में पढ़ाई कर रहा हूं।. अब ये परंपराएं खत्म हो चुकी हैं। वैसे भी मंजू तुम राजपूत कौम से नही हो। मैं तुम्हारे साथ बचपन में खेला हूं। मुझे मालूम है कि तुम्हें धनुष बाण, तलवार,खुरपी,कुदाल आदि सारे हथियार चलाने आते हैं।
तुम भील यानी लड़ाकू कौम से हो। फिर तुम्हे सती होने के लिए कौन मजबूर कर सकता है?” मंजू” मैं भी उसके बिना नहीं रह सकती इसलिए मुझे अब उसके साथ ही मरना होना होगा। मांग का सिंदूर पोंछती जाती है।(लेकिन सिंदूर पूरी तरह से मिट ता नही) “
विदेश बाबू: ” मैं 50 लाख रुपए का इंतजाम करता हूं । तुम्हारा सिंदूर बच जाएगा। सिंदूर की कीमत 50 लाख रुपए है ना।.. मैं लाता हूं ना।” मंजू आंसू पोंछते हुए : “कैसे ?तुम तो खुद अभी विदेश में पढ़ रहे हो । म्हारे देश में बहुत मंदी चल रही है। तुम्हें कोई उधार भी नहीं देगा।”
विदेश बाबू “अरे! मैं राजपूत खानदान से हूं। और मेरी जुबान तो क्या मेरी मूंछ का एक बाल भी बेशकीमती है।” मंजू हैरानी से ” कितनी ही कीमत होगी तुम्हारी मूंछ के एक बाल की ? “
विदेश बाबू_” मेरे मूंछ के एक बाल की कीमत तुम क्या जानो मंजू?
तुम यही रुको डॉक्टर को बोलो कल तक पूरा पैसा आ जाएगा। इलाज में कोई कमी न हो।” ( चला जाता है)
प्रकाश मंद
और मंद।
दृश्य परिवर्तन।
सुभाष राणा के (बिजनेस पार्टनर) साहूकार ” बा “के घर के दरवाजे पर : “खट.खट” अंदर से दरवाजा खुला साहूकार ” बा”( सफेद धोती,सफेद कुर्ता, कंधे पर ) : ” बोलो सा। कौन हो सा?”
विदेश बाबू (राजपूतानी ड्रेस में ,जूतियां पहने हुए सर पर पगड़ी कंधे पर चुनरी। )
मैं बल्लू सिंह राठौर का वंशज हूं । आपसे कुछ मदद लेने आया हूं।
साहूकार “बा”( सुभाष राणा का बिजनेस पार्टनर) सोफे पर बिठाते हुए:” बोलो सा। हमीं क्या मदद कर सकें?” विदेश बाबू:” “बा ” जी कुछ पैसे चाईये थे “
साहूकार “बा ” : तुमि कहां से आए? अभी क्या करे हो?” विदेश बाबू:” मैं अभी इंग्लैंड में पढ़ाई कर रहा हूं “बा ” जी । पर अभी मुझे पढ़ाई के लिए 50 लाख रुपए की जरूरत आन पड़ी “बा” जी”
साहूकार “बा” :“पर तुम 50 लाख रुपए कैसे चूकाओगे? ” विदेश बाबू( मूछों पर ताव देते हुए):“बा” जी में राजपूतानी वंशज हूं। मैं अभी अपने मूंछ का एक बाल आपके पास गिरवी रखता हूं और बहुत ही जल्दी आपको 50 लाख रुपए वापस करता हूं “बा “।”
साहूकार “बा”: “हम कैसे विश्वास करें आज के समय में।”
विदेशी बाबू मूंछ का एक बाल उखाड़ कर देता हुआ:
” राजपूतानी आन बान शान ,
बल्लू सिंह की मूंछ का एक बाल ,
औरंगजेब से लाया शव अमर सिंह का बेमिसाल ।
पांचवें वंशज ने चुकाया रुकड़ा ,
छुड़ाया बल्लू सिंह जी की मूंछ का एक बाल।
आज (25 जुलाई 2024)का ताजा समाचार।…
वैसे ही जैसे कि आज की हॉट न्यूज़ है कि जुलाई 1644 में अमर सिंह राठौर की आगरा के किले में शाहजहां के दरबार में शाहजहां से कहा सुनी हुई।
शाहजहां ने आपसी कहा सुनी के दौरान हत्या कर दी थी। अमर सिंह राठौर की पत्नी यानी रानी को सती होने के लिए अमर सिंह राठौड़ का शव चाहिए था । तो बल्लू जी ने साहूकार को अपनी मूंछ का एक बाल गिरवी रखा और एक रुक्का लिखा। साहूकार से पैसे लिए ।
सैना गठित की और सफेद घोड़े पर बैठकर अमर सिंह के शव के दर्शन करने के बहाने बिजली की फुर्ती से सफेद घोड़े पर शव को बिठाया और किले की प्राचीर से नीचे कूद पड़े।आज उनके पांचवें वंशज ने उनकी मूंछ का एक बाल पैसे देकर छुड़ाया और बाल का विधिवत संस्कार करके परंपरागत शोक भी मनाया।.. मैं भी उसी वंश से ताल्लुकात रखता हूं “बा” ।”
साहूकार “बा”( सुभाष राणा का बिजनेस पार्टनर)” एक मिनटा ना रुको।.. (वह पर्दे के पीछे खड़ी अपनी पत्नी से मशवरा करने जाता है। ) पत्नी “दे दो । अपन अभी अभी कई करोड़ रुपए का प्रॉफिट किया सा। .. बहुत बड़ा पाप किया सा। कहा सुनी करते करते आपने सांप छोड़ कर सुभाष राणा (पार्टनर) को छत से गिराया सा।
अब वो ना बचने वाला सा। इसे 50 लाख रुपए का दान करके कुछ पुण्य कर लो सा। ऐसे ई राजपूत है। पैसा देर सवेर दे देवेगा सा। यह नहीं चुका पाएगा । इसके वंशज कर्ज जरुर चुकाएंगे। आपने पढ़ा नहीं आज के समाचार में। पांच वंशजो के बाद आज के वंशज ने सेठ का रुक्कड़ा अदा किया और एक मूंछ का बाल छुड़ाया तथा उसकी अंत्येष्टि भी की सा।”
(विदेश बाबू साहूकार बा और उसकी पत्नी साहूकारनी के बीच के वार्तालाप की ऑडियो बना रहा है)
साहूकार “बा” वापस आकर सोफे पर बैठता है। तभी विदेश बाबू साहूकार को कहता है:_”.. मैं मंजू को कुछ नहीं बताऊंगा बल्कि उसे सती होने के लिए प्रेरित करूंगा।”
साहूकार “बा ” (मन ही मन खुश : ” हा… हा… सांप भी मर जाएगा और लाठी भी नहीं टूटेगी। ..उसकी पत्नी (दावेदार )भी मर जाएगी । भविष्य में कोई परेशानी नहीं है। मूल का मूल रहेगा ब्याज पैदा नहीं होगा हिसाब किताब करने वाला हा.. हा ..हा.) … अब साहूकार “बा” बोलते हैं” ये लो 50 लाख रुपए और आपकी मूंछ का ये एक बाल लिखित चिट्ठा सहित इस थैली में डालकर हमने अपने पास गिरवी रख लिया सा”
विदेशी बाबू_:” बहुत-बहुत धन्यवाद “बा” ।”(चला जाता है)
प्रकाश मंद
और मंद
अगली सुबह विदेश बाबू मंजू को 50 लाख रुपए देता है।:_” लो मंजू 50 लाख रुपए ।अपना सिंदूर बचाओ”( इलाज शुरू हो जाता है)
कुछ दिनों के बाद
सुभाष राणा :“मैं आपका एहसान कैसे उतारू सा?” विदेशी बाबू “सिंदूर की कीमत दो।” (हंसते हुए)
सुभाष राणा सिंदूर की कीमत क्या है?”
विदेशी बाबू:” सिंदूर की कीमत मूंछ का एक बाल है।( हंसता है).. घबराओ मत हम साहूकार “बा” ( आपके बिजनेस पार्टनर) के खिलाफ केस करेंगे। मैं वकील हूं। आपकी तरफ से लडूंगा।” (सुभाष राणा मंजू,मीना, सभी अत्यंत खुश) प्रकाश मंद और मंद दृश्य परिवर्तन ।
कोर्ट में वकील विदेशी बाबू:” माई लॉर्ड साहूकार “बा”( बिजनेस पार्टनर) द्वारा आपसी कहासुनी के दौरान मेरे क्लाइंट सुभाष राणा जी की हत्या का प्रयास किया गया।साहूकार “बा” ने धोखे से सुभाष राणा के पास सांप छोड़कर इनको छत से गिरा दिया।
खुद साहूकार “बा”( सुभाष राणा जी के बिजनेस पार्टनर और उनकी पत्नी का वार्तालाप मेरी इस ऑडियो में सुने): ऑडियो चला देता है।” जज ” साहूकार “बा “( सुभाष राणा जी के बिजनेस पार्टनर) गिल्टी है। ये साहूकार “बा” सुभाष राणा को एक करोड रुपए मुआवजे में देंगे।”
सुभाष राणा , विदेशी बाबू , मंजू भील और अन्य परिवार के सदस्य अत्यंत खुश।
खुशी खुशी सब मिलकर खाना खा रहे हैं। साथ ही एक अपना अलग बिजनेस मॉडल तैयार कर रहे हैं।
एक करोड रुपए जो मुआवजे में साहूकार “बा”(बिजनेस पार्टनर) से मिले थे । उसमें से 50 लाख रुपए से बिजनेस चला रहे हैं।
बिजनेस अच्छा खासा चल रहा है।
दृश्य परिवर्तन
रमेश बाबू साहूकार “बा “(बिजनेस पार्टनर) को एक 50 लाख रुपए वापस करते हैं और अपने मूंछ के एक बाल को वापस लाते हैं।
सभी मूंछ के एक बाल को गर्व से देखते हैं। विदेशी बाबू भी गर्व से देखते हुए :”यह मेरी मूंछ का बाल है। जिसकी कीमत है एक चुटकी सिंदूर। आज इस बाल की वजह से सिंदूर भी बच गया ।
सिंदूर लगाने वाली भी। मूंछ के बाल का बांका भी नहीं हुआ। आज यह बाल पति का शव और पत्नी की मृत्यु (सती ) को नहीं लाया बल्कि यह मूंछ का बाल आज पति पत्नी का जीवन और अपार खुशियां लाया। ..
आज इस मूंछ के एक बाल की शोक के तौर पर परंपरागत रूप से अंत्येष्टि नहीं की जाएगी।बल्कि खुशियां मनाई जाऐंगी।
आज इस बाल को बहुत प्रेम से मान सम्मान से इस शोकेस में सजाया जाता है और हर साल आज के दिन इसका “स्मरण दिन” मनाया जायेगा।”
हंसी खुशी का माहौल।
खाना पीना, नाच गाना चल रहा है।
प्रकाश रंग बिरंगा। रंग बिरंगी रोशनिया लाल पीली नीली जगमगा रही है। फ्लोर डांस डी जे के साथ हो रहा है।
समाप्त।
पात्र परिचय :
1) मंजू आयु 23 वर्ष।
2) विदेश बाबू आयु 24 वर्ष।
3) साहूकार “बा” ( बिजनेस पार्टनर ) आयु 35 वर्ष ।
4) सुभाष राणा आयु 28 वर्ष ।
5) मीना आयु 18 वर्ष।
मंच व्यवस्था :
अस्पताल। कुछ औरतें (राजपूतानी लहंगा चोली, चुनरी एकदम पतली व पारदर्शी) आदमी ( सफेद धोती ,कुर्ता,पगड़ी पहने हुए) बैठे हैं। (अत्यंत उदास।)
मंजू का रुदन:_ “हाय ! मेरे पतिदेव मुझे छोड़कर जा रहे हैं।”( मांग का सिंदूर पोंछ रही है)
तभी मंजू के फोन में रिंग :ट्रिंग,ट्रिंग। मंजू की बहन मीना फोन उठाती है। और स्पीकर मोड पर डाल देती है। मंजू” रोती ही जा रही है।(रोने की आवाज)”
विदेश बाबू:” हेलो मंजू। हैलो मंजू व्हाट हैपेंड? क्या हुआ? मंजू आई एम इन इंडिया।मंजू मैं इंडिया आया हूं। क्या तुमसे कुछ देर मिल सकता हूं?” मंजू की छोटी बहन मीना :मंजू दी अभी अस्पताल के बाहर बैठी हैं । हम सभी के साथ। उनके हस्बैंड का एक्सीडेंट हो गया है। उनकी हालत गंभीर है।”
विदेश बाबू” ओह सो सेड! आई एम कमिंग इन द हॉस्पिटल। प्लीज सेंड मि लोकेशन। प्लीज लोकेशन भेज दीजिए। मैं अस्पताल आ रहा हूं।” मीना ” लोकेशन का बटन दबा रही है।”
कुछ देर बाद
विदेश बाबू की कार रूकती है” ठुस्स” विदेश बाबू देखता है” मंजू का रुदन।:” हाय! मैं जीते जी मर गई। मेरे पतिदेव मुझे छोड़कर जा रहे हैं। ” विदेश बाबू मंजू से पूछता है:” क्या हुआ ? क्या हुआ आपके हसबैंड को? कहां है सुभाष राणा?
मंजू:_ (रुदन ही करती रहती है) हाय!मैं लुट गई। हाय !मैं मर गई मेरा हस्बैंड आई सी यू में ।.. बचने की कोई उम्मीद नहीं है।..(आंसुओं की झड़ी लगी हुई है)
विदेश बाबू “क्यों?” मंजू : (रुदन जारी) हा.. य! मैं कैसे बचाऊ? अब मेरी मांग का सिंदूर नही बच सकता”(मांग का सिंदूर पोंछ रही है)
मंजू की बहन मीना:” क्योंकि जीजा सा के इलाज के लिए जीजी सा के पास 50 लाख रुपए नहीं हैं । डॉक्टर बिना एडवांस के इलाज शुरू नही कर रहे” विदेश बाबू : (जेब से 50 हजार रुपए निकालकर मीना को देते हुए) लो ये पैसे । जाकर डॉक्टर को दे दो और सुभाष राणा जी का इलाज शुरू करवाओ।”
मीना :_ ” “धन्यवाद” (भागकर अस्पताल के अंदर जाती है)
मंजू:_( रुदन जारी)”हाय! मैं मर गई । मैं लुट गई । मेरी मांग उजड़ गई। अब मुझे भी मरना होगा।.. हा… क्या करूं…? हा..”( सिंदूर चुनरी के पल्लू से पोंछ ती जाती है)
(सभी आदमी,औरत हां की स्वीकृति के भाव में बैठे हैं)
विदेश बाबू (नासमझी का भाव)” एक मिनट।.. आपको क्यों मरना होगा? और सिंदूर पोंछने का कारण?” मंजू:“एक चुटकी सिंदूर की कीमत तुम क्या जानो विदेश बाबू? अब मैं अपने हसबैंड को नहीं बचा सकती”
मंजू की बहन मीना( अस्पताल से बाहर आकर) खुशी से बोलती है _”डॉक्टर ने इलाज शुरू कर दिया।”
(सभी आदमी औरतों के चेहरे पर सकून और संतोष के भाव)
विदेश बाबू मंजू से :” तुम्हारी जीजी सा ये क्या बोल रही है?” मीना:“
मेरी जीजी के ससुराल में यानी जीजा सा
सुभाष राणा के राजपूत परिवार में आज तक पति के बिना पत्नी का अस्तित्व नहीं स्वीकारा जाता। इसलिए सभी विधवाओं को मरना पड़ता है।”
विदेश बाबू (मंजू की ओर मुखातिब होकर)” मंजू मैं भी राजपूत हूं। माना कि दसियों साल से मैं इंग्लैंड में पढ़ाई कर रहा हूं।. अब ये परंपराएं खत्म हो चुकी हैं। वैसे भी मंजू तुम राजपूत कौम से नही हो। मैं तुम्हारे साथ बचपन में खेला हूं। मुझे मालूम है कि तुम्हें धनुष बाण, तलवार,खुरपी,कुदाल आदि सारे हथियार चलाने आते हैं।तुम भील यानी लड़ाकू कौम से हो। फिर तुम्हे सती होने के लिए कौन मजबूर कर सकता है?” मंजू” मैं भी उसके बिना नहीं रह सकती इसलिए मुझे अब उसके साथ ही मरना होना होगा। मांग का सिंदूर पोंछती जाती है।(लेकिन सिंदूर पूरी तरह से मिट ता नही) “
विदेश बाबू:” मैं 50 लाख रुपए का इंतजाम करता हूं । तुम्हारा सिंदूर बच जाएगा। सिंदूर की कीमत 50 लाख रुपए है ना।.. मैं लाता हूं ना।” मंजू आंसू पोंछते हुए : “कैसे ?तुम तो खुद अभी विदेश में पढ़ रहे हो । म्हारे देश में बहुत मंदी चल रही है। तुम्हें कोई उधार भी नहीं देगा।”
विदेश बाबू “अरे! मैं राजपूत खानदान से हूं। और मेरी जुबान तो क्या मेरी मूंछ का एक बाल भी बेशकीमती है।” मंजू हैरानी से ” कितनी ही कीमत होगी तुम्हारी मूंछ के एक बाल की ? “
विदेश बाबू_” मेरे मूंछ के एक बाल की कीमत तुम क्या जानो मंजू?..
तुम यही रुको डॉक्टर को बोलो कल तक पूरा पैसा आ जाएगा। इलाज में कोई कमी न हो।” ( चला जाता है)
प्रकाश मंद
और मंद।
दृश्य परिवर्तन।
सुभाष राणा के (बिजनेस पार्टनर) साहूकार ” बा “के घर के दरवाजे पर :“खट.खट” अंदर से दरवाजा खुला साहूकार ” बा”( सफेद धोती,सफेद कुर्ता, कंधे पर ) :” बोलो सा। कौन हो सा?”
विदेश बाबू (राजपूतानी ड्रेस में ,जूतियां पहने हुए सर पर पगड़ी कंधे पर चुनरी। )
मैं बल्लू सिंह राठौर का वंशज हूं ।आपसे कुछ मदद लेने आया हूं।
साहूकार “बा”( सुभाष राणा का बिजनेस पार्टनर) सोफे पर बिठाते हुए:” बोलो सा। हमीं क्या मदद कर सकें?” विदेश बाबू:” “बा ” जी कुछ पैसे चाईये थे “
साहूकार “बा ” :तुमि कहां से आए? अभी क्या करे हो?” विदेश बाबू:” मैं अभी इंग्लैंड में पढ़ाई कर रहा हूं “बा ” जी । पर अभी मुझे पढ़ाई के लिए 50 लाख रुपए की जरूरत आन पड़ी “बा” जी”
साहूकार “बा” :“पर तुम 50 लाख रुपए कैसे चूकाओगे? ” विदेश बाबू( मूछों पर ताव देते हुए):“बा” जी में राजपूतानी वंशज हूं। मैं अभी अपने मूंछ का एक बाल आपके पास गिरवी रखता हूं और बहुत ही जल्दी आपको 50 लाख रुपए वापस करता हूं “बा “।”
साहूकार “बा”:__”हम कैसे विश्वास करें आज के समय में।”
विदेश बाबू मूंछ का एक बाल उखाड़ कर देता हुआ:_
” राजपूतानी आन बान शान ,
बल्लू सिंह की मूंछ का एक बाल ,
औरंगजेब से लाया शव अमर सिंह का बेमिसाल ।
पांचवें वंशज ने चुकाया रुकड़ा ,
छुड़ाया बल्लू सिंह जी की मूंछ का एक बाल।
आज (25 जुलाई 2024)का ताजा समाचार।…
वैसे ही जैसे कि आज(25 जुलाई 2024) की हॉट न्यूज़ है कि जुलाई 1644 में अमर सिंह राठौर की आगरा के किले में शाहजहां के दरबार में शाहजहां से कहा सुनी हुई।शाहजहां ने आपसी कहा सुनी के दौरान हत्या कर दी थी। अमर सिंह राठौर की पत्नी यानी रानी को सती होने के लिए अमर सिंह राठौड़ का शव चाहिए था । तो बल्लू जी ने साहूकार को अपनी मूंछ का एक बाल गिरवी रखा और एक रुक्का लिखा। साहूकार से पैसे लिए । सैना गठित की और सफेद घोड़े पर बैठकर अमर सिंह के शव के दर्शन करने के बहाने बिजली की फुर्ती से सफेद घोड़े पर शव को बिठाया और किले की प्राचीर से नीचे कूद पड़े।आज उनके पांचवें वंशज ने उनकी मूंछ का एक बाल पैसे देकर छुड़ाया और बाल का विधिवत संस्कार करके परंपरागत शोक भी मनाया।.. मैं भी उसी वंश से ताल्लुकात रखता हूं “बा” ।”
साहूकार “बा”( सुभाष राणा का बिजनेस पार्टनर)” एक मिनटा ना रुको।.. (वह पर्दे के पीछे खड़ी अपनी पत्नी से मशवरा करने जाता है। ) पत्नी “दे दो । अपन अभी अभी कई करोड़ रुपए का प्रॉफिट किया सा। .. बहुत बड़ा पाप किया सा। कहा सुनी करते करते आपने सांप छोड़ कर सुभाष राणा (पार्टनर)को छत से गिराया सा।अब वो ना बचने वाला सा। इसे 50 लाख रुपए का दान करके कुछ पुण्य कर लो सा। ऐसे ई राजपूत है। पैसा देर सवेर दे देवेगा सा। यह नहीं चुका पाएगा । इसके वंशज कर्ज जरुर चुकाएंगे। आपने पढ़ा नहीं आज के समाचार में। पांच वंशजो के बाद आज के वंशज ने सेठ का रुक्कड़ा अदा किया और एक मूंछ का बाल छुड़ाया तथा उसकी अंत्येष्टि भी की सा।”
(विदेश बाबू साहूकार बा और उसकी पत्नी साहूकारनी के बीच के वार्तालाप की ऑडियो बना रहा है)
साहूकार “बा” वापस आकर सोफे पर बैठता है। तभी विदेश बाबू साहूकार को कहता है:_”.. मैं मंजू को कुछ नहीं बताऊंगा बल्कि उसे सती होने के लिए प्रेरित करूंगा।”
साहूकार “बा ” (मन ही मन खुश :” हा… हा… सांप भी मर जाएगा और लाठी भी नहीं टूटेगी। ..उसकी पत्नी (दावेदार )भी मर जाएगी । भविष्य में कोई परेशानी नहीं है। मूल का मूल रहेगा ब्याज पैदा नहीं होगा हिसाब किताब करने वाला हा.. हा ..हा.) … अब साहूकार “बा” बोलते हैं” ये लो 50 लाख रुपए और आपकी मूंछ का ये एक बाल लिखित चिट्ठा सहित इस थैली में डालकर हमने अपने पास गिरवी रख लिया सा”
विदेश बाबू_:” बहुत-बहुत धन्यवाद “बा” ।”(चला जाता है)
प्रकाश मंद
और मंद
अगली सुबह विदेश बाबू मंजू को 50 लाख रुपए देता है।:_” लो मंजू 50 लाख रुपए ।अपना सिंदूर बचाओ”( इलाज शुरू हो जाता है)
कुछ दिनों के बाद
सुभाष राणा :“मैं आपका एहसान कैसे उतारू सा?” विदेशी बाबू “सिंदूर की कीमत दो।” (हंसते हुए)
सुभाष राणा सिंदूर की कीमत क्या है?”
विदेशी बाबू:” सिंदूर की कीमत मूंछ का एक बाल है।( हंसता है).. घबराओ मत हम साहूकार “बा” ( आपके बिजनेस पार्टनर) के खिलाफ केस करेंगे। मैं वकील हूं। आपकी तरफ से लडूंगा।” (सुभाष राणा मंजू,मीना, सभी अत्यंत खुश) प्रकाश मंद और मंद दृश्य परिवर्तन । कोर्ट में वकील विदेश बाबू:” माई लॉर्ड साहूकार “बा”( बिजनेस पार्टनर) द्वारा आपसी कहासुनी के दौरान मेरे क्लाइंट सुभाष राणा जी की हत्या का प्रयास किया गया।साहूकार “बा” ने धोखे से सुभाष राणा के पास सांप छोड़कर इनको छत से गिरा दिया। खुद साहूकार “बा”( सुभाष राणा जी के बिजनेस पार्टनर और उनकी पत्नी का वार्तालाप मेरी इस ऑडियो में सुने): ऑडियो चला देता है।” जज ” साहूकार “बा “( सुभाष राणा जी के बिजनेस पार्टनर) गिल्टी है। ये साहूकार “बा” सुभाष राणा को एक करोड रुपए मुआवजे में देंगे।”
सुभाष राणा ,विदेश बाबू ,मंजू भील और अन्य परिवार के सदस्य अत्यंत खुश।
खुशी खुशी सब मिलकर खाना खा रहे हैं। साथ ही एक अपना अलग बिजनेस मॉडल तैयार कर रहे हैं।
एक करोड रुपए जो मुआवजे में साहूकार “बा”(बिजनेस पार्टनर) से मिले थे । उसमें से 50 लाख रुपए से बिजनेस चला रहे हैं।
बिजनेस अच्छा खासा चल रहा है।
दृश्य परिवर्तन
विदेश बाबू साहूकार “बा “(बिजनेस पार्टनर) को एक 50 लाख रुपए वापस करते हैं और अपने मूंछ के एक बाल को वापस लाते हैं।
सभी मूंछ के एक बाल को गर्व से देखते हैं। विदेश बाबू भी गर्व से देखते हुए :”यह मेरी मूंछ का बाल है। जिसकी कीमत है एक चुटकी सिंदूर। आज इस बाल की वजह से सिंदूर भी बच गया ।सिंदूर लगाने वाली भी। मूंछ के बाल का बांका भी नहीं हुआ। आज यह बाल पति का शव और पत्नी की मृत्यु (सती ) को नहीं लाया बल्कि यह मूंछ का बाल आज पति पत्नी का जीवन और अपार खुशियां लाया। ..
आज इस मूंछ के एक बाल की शोक के तौर पर परंपरागत रूप से अंत्येष्टि नहीं की जाएगी।बल्कि खुशियां मनाई जाऐंगी।
आज इस बाल को बहुत प्रेम से मान सम्मान से इस शोकेस में सजाया जाता है और हर साल आज का दिन मूंछ के एक बाल के “स्मरण दिवस ” के रूप में मनाया जायेगा।”
हंसी खुशी का माहौल।
खाना पीना, नाच गाना चल रहा है।
प्रकाश रंग बिरंगा। रंग बिरंगी रोशनिया लाल पीली नीली जगमगा रही है। फ्लोर डांस डी .जे. के साथ हो रहा है।
डॉक्टर सुमन धर्मवीर
विशाखापत्तनम
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