भारतीय साहित्य और तहज़ीब, संस्कृति को बचाने में बाल साहित्य का योगदान
प्रस्तावना: भारतीय साहित्य और संस्कृति की समृद्ध विरासत को संरक्षित और संवर्धित करने में बाल साहित्य एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह न केवल बच्चों को मनोरंजन प्रदान करता है, बल्कि उन्हें अपनी जड़ों से जोड़ने, नैतिकता सिखाने और भाषा एवं परंपराओं के प्रति जागरूक करने का कार्य भी करता है।
- भारतीय मूल्यों और परंपराओं की शिक्षा : बाल साहित्य में नैतिक कहानियाँ, लोककथाएँ, पंचतंत्र, जातक कथाएँ, और रामायण-महाभारत की शिक्षाएँ प्रमुख रूप से शामिल होती हैं। ये बच्चों को ईमानदारी, परिश्रम, करुणा, और सत्य जैसे मूल्यों की सीख देती हैं।
- भाषा और साहित्य का संवर्धन: बाल साहित्य के माध्यम से बच्चों में हिंदी, संस्कृत, और अन्य भारतीय भाषाओं के प्रति प्रेम विकसित होता है। सरल भाषा और रोचक कहानियों के जरिए वे अपनी मातृभाषा को सहजता से सीखते हैं, जिससे भारतीय भाषाओं का संरक्षण होता है।
- सांस्कृतिक पहचान की सुरक्षा: बाल साहित्य भारतीय त्योहारों, रीति-रिवाजों, इतिहास, और नायकों की कहानियों को बच्चों तक पहुँचाने का एक सशक्त माध्यम है। यह उन्हें अपनी संस्कृति और परंपराओं के प्रति गर्व और सम्मान की भावना से भरता है।
- लोककथाओं और पौराणिक कथाओं का संरक्षण: भारत की विविधता भरी लोककथाएँ, दंतकथाएँ, और पौराणिक कथाएँ पीढ़ी-दर-पीढ़ी मौखिक और लिखित रूप से आगे बढ़ती हैं। बाल साहित्य के माध्यम से ये कहानियाँ संरक्षित रहती हैं और आधुनिक बच्चों तक पहुँचती हैं।
- आधुनिकता और परंपरा का सामंजस्य: वर्तमान समय में बाल साहित्य केवल पारंपरिक कहानियों तक सीमित नहीं है, बल्कि विज्ञान, तकनीक और सामाजिक मुद्दों को भी समाहित कर रहा है। यह बच्चों को आधुनिक ज्ञान से जोड़े रखते हुए उनकी सांस्कृतिक जड़ों से जुड़े रहने में मदद करता है।
- समाज में नैतिक और सांस्कृतिक चेतना का विकास: बाल साहित्य बच्चों में सामाजिक उत्तरदायित्व, सहानुभूति, और मानवीय मूल्यों को विकसित करता है। इससे वे अपनी संस्कृति की गहरी समझ विकसित करते हैं और समाज के प्रति जागरूक नागरिक बनते हैं।
उपसंहार/ निष्कर्ष : भारतीय साहित्य और संस्कृति की धरोहर को संजोने और नई पीढ़ी तक पहुँचाने में बाल साहित्य एक अनमोल साधन है। यह न केवल मनोरंजन प्रदान करता है, बल्कि बच्चों को उनकी जड़ों से जोड़ता है, उन्हें नैतिक मूल्यों की शिक्षा देता है और भारतीय भाषाओं एवं परंपराओं के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

शरीफ़ ख़ान
( रावतभाटा कोटा राजस्थान )
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