अस्तीन के सांप

अस्तीन के सांप | Poem aasteen ke saanp

 अस्तीन के सांप  ( Aasteen ka saanp )    मेरे अपनों ने मुझे,अपनों से दूर कर दिया || 1.कुछ अपने जो पराये हो गए,पराये मेरे अपने हो गए | अपनों को खो दिया पराया मान,वो अब सपने रह गए | कुछ खास अपनों को जी-जान से,अपना बनाना चाहा | सरेआम दगा दे गए दिखाबा किया,बस…