ग़म भरी अपनी यहां तो जिंदगी है

ग़म भरी अपनी यहां तो जिंदगी है

ग़म भरी अपनी यहां तो जिंदगी है     ग़म भरी अपनी यहां तो जिंदगी है! लिक्खी क़िस्मत में नहीं शायद ख़ुशी है   कोई भी अपना नहीं है आशना  ही तन्हाई के रोज़ आंखों में नमी है   हो गया मुझसे पराया उम्रभर वो रोज़ रातें यादों में जिसकी कटी है   हाँ ख़ुशी…