एक अजीब लड़की | Poem ek ajeeb ladki
एक अजीब लड़की ! ( Ek ajeeb ladki ) ***** घड़ी घड़ी कपड़े है बदलती, बिना काम बाजारों में है टहलती। अभी दिखी थी साड़ी में, अब आई है गाउन में; नयी नयी लग रही है टाउन में। अधरों पर लिए अजीब मुस्कान, कुछ खास नहीं उसकी पहचान। मुखरे पर किए अतिशय श्रृंगार, युवा धड़कनें…