कविताएँ और क्रंदन ByAdmin October 20, 2020December 30, 2020 और क्रंदन थकित पग में अथक थिरकन और क्रंदन। आंसुओं का बरसा सावन और क्रंदन।। हृदय से उस चुभन की आभास अब तक न गयी। सिंधु में गोते लगाये प्यास अब तक न गयी ।। बढ़ रही जाने क्यूं धड़कन और क्रंदन । थकित बालक समझ मुझको धूल ने धूलित किया…