कर रहा ग़म भरी मयकशी आज फ़िर

कर रहा ग़म भरी मयकशी आज फ़िर

कर रहा ग़म भरी मयकशी आज फ़िर   कर रहा ग़म भरी मयकशी आज फ़िर! ढ़ल गयी जीस्त से जब ख़ुशी आज फ़िर।।   दोस्त था वो मेरा पर ये क्या कर गया । कर गया वो बहुत दुश्मनी आज फ़िर।।   क्या निभाएगा वो राब्ता प्यार का । वो दिखा बस रहा बेरुख़ी आज…