ख़याले-यार | Ghazal Khayale-Yaar

ख़याले-यार | Ghazal Khayale-Yaar

ख़याले-यार ( Khayale-Yaar ) ख़याले-यार से बढ़कर कोई ख़याल नहीं शब-ए-फिराक़ है फिर भी ज़रा मलाल नहीं किसी की सम्त उठा कर निगाह क्या देखें तेरे जमाल के आगे कोई जमाल नहीं जमाले -यार की रानाइयों में खोया हूँ फ़ज़ा-ए-मस्त से मुझको अभी निकाल नहीं उड़ेगी नींद तू खोयेगा चैन दिन का भी दिमाग़ो-दिल में…