घर को संभाले | Ghazal Ghar ko Sambhale
घर को संभाले ( Ghar ko Sambhale ) इस दिल को बता तू ही करूँ किसके हवाले अब तेरे सिवा कौन मिरे घर को संभाले इक बात ही कहते हैं यहाँ आके पड़ोसी जब तुम थे बरसते थे यहाँ जैसे उजाले मेरे ही तबस्सुम से तिरा रूप खिला है तू अपनी निगाहों के कभी देख…