साथी | छंद
साथी ( Sathi ) मनहरण घनाक्षरी वृंदावन सा हृदय, गोकुल सा मन मेरा। बजे बंशी मोहन की, झूम झूम गाइये। आंधी तूफां मुश्किलों का, सुख सागर हो जाना। मन भाती प्रीत साथी, मनमीत आइए। महका मधुमास सा, प्यार के मोती लुटाता। तेरा मेरा प्रेम सच्चा, रस बरसाइये। सद्भाव प्रेम आनंद से, तय सफर हो…