जरूरत-मन्द -hindi poetry || jaroorat mand
जरूरत-मन्द –>नकली के सम्मुख, असली फीका पड़ जाता है || 1.नकली जेवर की चमक मे, असली सोना फीका पड गया | नकली नगीनों की चमक मे, असली हीरा फीका पड गया | दिखावटी लोगो की चमक मे, असली इंसान फीका पड गया | मतलबी दोस्तों की धमक मे, सच्चा दोस्त फीका पड गया…

