ज़िंदगी के वास्ते | Ghazal Zindagi ke Vaaste
ज़िंदगी के वास्ते ( Zindagi ke Vaaste ) जब इजाज़त उसने मांगी रुख़सती के वास्ते। कह दिया हमने भी जा,उसकी ख़ुशी के वास्ते। तीरगी फिर भी न मिट पाई हमारे क़ल्ब की। फूंक डाला घर भी हमने रोशनी के वास्ते। आग को पानी करे है और पानी को धुआं। आदमी क्या-क्या करे है ज़िंदगी के…