डॉ ऋतु शर्मा ननंन पाँडे की कविताएं | Dr. Ritu Sharma Pandey Poetry

डॉ ऋतु शर्मा ननंन पाँडे की कविताएं | Dr. Ritu Sharma Pandey Poetry

स्त्री चूल्हा मिट्टी का हो या गैस का रोटी बनाते समय उँगलियाँ मेरी ही जली है जली उँगलियों के साथ चेहरे पर मुस्कान लिए तुम्हारी स्वादिष्ट थाली मैंने ही हमेशा सजाई है जब जाते तुम काम पर सारे दिन की थकान भूला शाम को दरवाज़े पर मेरी ही निगाहें तुम्हें खोजती हैं गर्भ धारण से…