डॉ. राही की कविताएं

डॉ. राही की कविताएं | Dr. Rahi Hindi Poetry

राजनीतिक बहर (हरियाणवी बहर) और किसे का मोर बणाकै आपणा उल्लू सीधा चाह् वैं । घाल हल़ाई बांगी टेढ़ी उसनै सीधी राह बतावैं।। मैं हे कल्याण करूंगा थारा आपणी बिद्या ठीक बतावैं । जनसेवा के करकै वादे सत्ता रसमल़ाई खावैं।। सीधी बात करणिया दीखैं जलेबी ज्यूं उल़झे पावैं । भोल़ी जनता बीच म्है फंसगी ना…