Dr. Satywan  Saurabh

डॉ. सत्यवान सौरभ की कविताएं | Dr. Satywan Saurabh Hindi Poetry

तेरी क्या औकात ●●● नई सदी में आ रहा, ये कैसा बदलाव । संगी-साथी दे रहे, दिल को गहरे घाव ।। ●●● हम खतरे में जी रहे, बैठी सिर पर मौत । बेवजह ही हम बने, इक-दूजे की सौत ।। ●●● जर्जर कश्ती हो गई, अंधे खेवनहार । खतरे में ‘सौरभ’ दिखे, जाना सागर पार…