डॉ. सत्यवान सौरभ की कविताएं | Dr. Satywan Saurabh Hindi Poetry
दोहरे सत्य ●●●कहाँ सत्य का पक्ष अब, है कैसा प्रतिपक्ष।जब मतलब हो हाँकता, बनकर ‘सौरभ’ अक्ष॥●●●बदला-बदला वक़्त है, बदले-बदले कथ्य।दूर हुए इंसान से, सत्य भरे सब तथ्य॥●●●क्या पाया, क्या खो दिया, भूल रे सत्यवान।किस्मत के इस केस में, चलते नहीं बयान॥●●●रखना पड़ता है बहुत, सीमित, सधा बयान।लड़ना सत्य ‘सौरभ’ से, समझो मत आसान॥●●●कर दी हमने…