तेरा ये शबाब |Tera ye shabab | Ghazal
तेरा ये शबाब ( Tera ye shabab ) खिलता हुस्न का तू गुलाब है! ग़जब का तेरा ये शबाब है नशा क्यों न हो इश्क़ का मुझे लब तेरे सनम जब शराब है जिसे पढ़ना बाकी कभी जरा तू वो शायरी की क़िताब है उसे देखने को मचलता दिल ढला न वो चेहरे से…