तेरी प्रिय प्रतिभा की मैं रूबाई हूॅ

तेरी प्रिय प्रतिभा की मैं रूबाई हूॅ

तेरी प्रिय प्रतिभा की मैं रूबाई हूॅ कुछ लिखिए, तो मैं भी लिखूँ, कल से कुछ लिख नहीं पाई हूँ। सानिध्य ले त्रिवेणी संगम बनूँ, कुछ बेहतरीन की सोच आई हूँ। जिक्र न मेरा न तुम्हारा होगा प्रथम स्थान की परछाई हूँ, परिवेष्टित स्नेहिल सा संसार, नेह में आकण्ठ बहुत हरषाई हूँ। यदा मिले याद…